Thursday, July 18, 2013

105-क़यामत है कि सुन लैला का

क़यामत है, कि सुन लैला का दश्त-ए-क़ैस में आना
ता`अज्जुब से वह बोला, यूं भी होता है ज़माने में

दिल-ए-नाज़ुक प उस के रहम आता है मुझे, ग़ालिब
न कर सरगर्म उस काफ़िर को उल्फ़त आज़माने में

-मिर्ज़ा ग़ालिब

No comments:

Post a Comment