पए नज़र-ए-करम तुहफ़:, है शर्म-ए-नारसाई का
ब ख़ूं-ग़लतीद:-ए-सद-रंग दा`वा पारसाई का
न हो हुस्न-ए-तमाशा दोस्त, रुसवा बेवफ़ाई का
ब मुहर-ए-सद-नज़र साबित है दा`वा पारसाई का
ज़कात-ए-हुस्न दे, अय जलव:-ए-बीनिश, कि मिहर-आसा
चिराग़-ए-ख़ान:-ए-दरवेश हो, कास: गदाई का
न मारा, जान कर बेजुर्म, ग़ाफ़िल तेरी गरदन पर
रहा मानिन्द-ए-ख़ून-ए बेगुनह, हक़ आशनाई का
तमन्ना-ए-ज़बाँ महव-ए-सिपास-ए बेज़बानी है
मिटा जिस से तक़ाज़ा, शिकव:-ए बेदस्त-ओ-पाई का
वही इक बात है, जो याँ नफ़स,वाँ नकहत-ए-गुल है
चमन का जल्व: बा`इस है, मिरी रंगी-नवाई का
दहान-ए-हर बुत-ए-पैग़ार:-जू,ज़ंजीर-ए-रुसवाई
`अदम तक बेवफ़ा, चर्चा है तेरी बेवफ़ाई का
न दे नामे को इतना तूल ग़ालिब, मुख़्तसर लिख दे
कि हसरत संज हूँ `अर्ज़-ए-सितमहा-ए-जुदाई का
-मिर्ज़ा ग़ालिब
ब ख़ूं-ग़लतीद:-ए-सद-रंग दा`वा पारसाई का
न हो हुस्न-ए-तमाशा दोस्त, रुसवा बेवफ़ाई का
ब मुहर-ए-सद-नज़र साबित है दा`वा पारसाई का
ज़कात-ए-हुस्न दे, अय जलव:-ए-बीनिश, कि मिहर-आसा
चिराग़-ए-ख़ान:-ए-दरवेश हो, कास: गदाई का
न मारा, जान कर बेजुर्म, ग़ाफ़िल तेरी गरदन पर
रहा मानिन्द-ए-ख़ून-ए बेगुनह, हक़ आशनाई का
तमन्ना-ए-ज़बाँ महव-ए-सिपास-ए बेज़बानी है
मिटा जिस से तक़ाज़ा, शिकव:-ए बेदस्त-ओ-पाई का
वही इक बात है, जो याँ नफ़स,वाँ नकहत-ए-गुल है
चमन का जल्व: बा`इस है, मिरी रंगी-नवाई का
दहान-ए-हर बुत-ए-पैग़ार:-जू,ज़ंजीर-ए-रुसवाई
`अदम तक बेवफ़ा, चर्चा है तेरी बेवफ़ाई का
न दे नामे को इतना तूल ग़ालिब, मुख़्तसर लिख दे
कि हसरत संज हूँ `अर्ज़-ए-सितमहा-ए-जुदाई का
-मिर्ज़ा ग़ालिब
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