Thursday, July 18, 2013

146-मिरी हस्ती फ़ज़ा-ए-हैरत

मिरी हस्ती फ़ज़ा-ए-हैरत आबाद-ए-तमन्ना है
जिसे कहते हैं नाल: वह उसी `आलम का `अन्क़ा है

ख़िज़ाँ क्या, फ़स्ल-ए-गुल कहते हैं किस को, कोई मौसम हो
वही हम हैं ,क़फ़स है, और मातम बाल-ओ-पर का है

वफ़ा-ए-दिलबराँ है इत्तिफ़ाक़ी वर्न:, अय हमदम
असर फ़रियाद-ए-दिलहा-ए-हज़ीं का, किसने देखा है

न लाई शोख़ी-ए-अन्देश: ताब-ए-रंज-ए-नौमीदी
कफ़-ए-अफ़सोस मलना `अहद-ए-तजदीद-ए-तमन्ना है

न सोवे आबलों में गर सिरिशक-ए-दीद:-ए-नम से
ब जौलाँ-गाह-ए-नौमीदी निगाह-ए-`आजिज़ाँ पा है

ब सख़तीहा-ए-क़ैद-ए-ज़िन्दगी मा`लूम आज़ादी
शरर भी सैद-ए-दाम-ए-रिश्त:-ए-रगहा-ए-ख़ारा है

तग़ाफ़ुल-मशरबी से ना-तमामी बसकि पैदा है
निगाह-ए-नाज़ चश्म-ए-यार में ज़ुन्नार-ए-मीना है

तसररुफ़ वहशियों में है तसव्वुरहा-ए-मजनूँ का
सवाद-ए-चश्म-ए-आहू `अक्स-ए-ख़ाल-ए-रू-ए-लैला है

मुहब्बत तर्ज़-ए-पैवन्द-ए-निहाल-ए-दोस्ती जाने
दवीदन रेशह सां मुफ़्त-ए-रग-ए-ख़्वाब-ए-ज़ुलैख़ा है

किया यक-सर गुदाज़-ए-दिल नियाज़-ए-जोशिश-ए-हसरत
सुवैदा नुसख़ह-ए-तह-बनदी-ए-दाग़-ए-तमन्ना है

हुजूम-ए-रेज़िश-ए-ख़ूँ के सबब रंग उड़ नहीं सकता
हिना-ए-पनजह-ए-सैयाद मुर्ग़-ए-रिश्त: बर-पा है

असर सोज़-ए-मुहब्बत का क़यामत बे-मुहाबा है
कि रग से संग में तुख़म-ए-शरर का रेशह पैदा है

निहाँ है गौहर-ए-मक़सूद जैब-ए-ख़ुद-शिनासी में
कि याँ ग़ववास है तिम्साल और आईन: दरिया है

`अज़ीज़ो ज़िक्र-ए-वस्ल-ए-ग़ैर से मुझ को न बहलाओ
कि याँ अफ़सून-ए-ख़्वाब अफ़सानह-ए-ख़्वाब-ए-ज़ुलैख़ा है

तसव्वुर बहर-ए-तस्कीन-ए-तपीदनहा-ए-तिफ़ल-ए-दिल
ब बाग़-ए-रंगहा-ए-रफ़्त: गुल-चीन-ए-तमाशा है

ब स`ई-ए-ग़ैर है क़ता`-ए-लिबास-ए-ख़ान:-वीरानी
कि नाज़-ए-जाद:ह-ए-रह रिश्त:-ए-दामान-ए-सहरा है

-मिर्ज़ा ग़ालिब

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