नक़्श-ए-नाज़-ए-बुत-ए-तन्नाज़, ब आग़ोश-ए-रक़ीब
पा-ए-ताऊस पए-ख़ाम:-ए-मानी माँगे
तू वह बदख़ू, कि तहय्युर को तमाशा जाने
ग़म वह अफ़सान:, कि आशुफ़्त: बयानी माँगे
वह तब-ए-`इश्क़ तमन्ना है, कि फिर सूरत-ए-शम`अ
शो’ल: ता नब्ज़-ए-जिगर रेश: दवानी माँगे
-मिर्ज़ा ग़ालिब
पा-ए-ताऊस पए-ख़ाम:-ए-मानी माँगे
तू वह बदख़ू, कि तहय्युर को तमाशा जाने
ग़म वह अफ़सान:, कि आशुफ़्त: बयानी माँगे
वह तब-ए-`इश्क़ तमन्ना है, कि फिर सूरत-ए-शम`अ
शो’ल: ता नब्ज़-ए-जिगर रेश: दवानी माँगे
-मिर्ज़ा ग़ालिब
No comments:
Post a Comment