Sunday, August 25, 2013

0071-राह-ए-दौर-ए-'इश्क़ में

राह-ए-दौर-ए-'इश्क़ में, रोता है क्या
आगे-आगे देखिए होता है क्या

क़ाफ़िले में सुब्ह के, इक शोर है
यानी ग़ाफ़िल हम चले, सोता है क्या

सब्ज़ होती ही नहीं, यह सरज़मीं
तुख़्म-ए-ख़्वाहिश, दिल में तू बोता है क्या

यह निशान-ए-'इश्क़ हैं, जाते नहीं
दाग़ छाती के `अबस, धोता है क्या

ग़ैरत-ए-युसुफ़ है, ये वक़्त-ए-'अज़ीज़
मीर, इसको रायगाँ खोता है क्या

-मीर तक़ी मीर
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Mehdi Hassan/ मेहदी हसन





1 comment:

Anonymous said...

Not getting link between 1st &3rd.
In 5th what does it mean by "bekar ki baate"
Pyar can't be bekar ki baate.

Sp

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