Thursday, July 18, 2013

136-घर में था क्या

घर में था क्या, कि तिरा ग़म उसे ग़ारत करता
वह जो रखते थे हम इक हसरत-ए-ता`मीर, सो है
-मिर्ज़ा ग़ालिब

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