हासिल से हाथ धो बैठ, अय आरज़ू-ख़िरामी
दिल जोश-ए-गिरिय: में है डूबी हुई असामी
उस शम`अ की तरह से, जिसको कोई बुझा दे
मैं भी जले हुओं में, हूँ दाग़-ए-नातमामी
-मिर्ज़ा ग़ालिब
दिल जोश-ए-गिरिय: में है डूबी हुई असामी
उस शम`अ की तरह से, जिसको कोई बुझा दे
मैं भी जले हुओं में, हूँ दाग़-ए-नातमामी
-मिर्ज़ा ग़ालिब
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