Thursday, July 18, 2013

217-बहुत सही ग़म-ए-गेती

बहुत सही ग़म-ए-गेती, शराब कम क्या है
ग़ुलाम-ए-साक़ी-ए-कौसर हूँ, मुझको ग़म क्या है

तुम्हारी तर्ज़-ओ-रविश, जानते हैं हम, क्या है
रक़ीब पर है अगर लुत्फ़, तो सितम क्या है

सुख़न में ख़ाम:-ए-ग़ालिब की आतिश-अफ़शानी
यक़ीं है हमको भी, लेकिन अब उस में दम क्या है

-मिर्ज़ा ग़ालिब

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