Saturday, July 20, 2013

008-शुमार-ए-सुबह:

शुमार-ए-सुब्‌ह: मरग़ूब-ए बुत-ए-मुश्किल-पसंद आया
तमाशा-ए-बयक-कफ़-बुरदन-ए-सद-दिल पसंद आया

बफ़ैज़-ए-बेदिली नौमीदि-ए-जावेद आसाँ है
कुशाइश को हमारा `उक़द:-ए-मुश्किल पसंद आया

हवा-ए-सैर-ए-गुल, आईन:-ए-बेमेहरि-ए-क़ातिल
कि अंदाज़-ए-बख़ूँ-ग़लतीदन-ए-बिस्मिल पसंद आया

-मिर्ज़ा ग़ालिब


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