महरम नहीं है तू ही नवाहा-ए-राज़ का
याँ वर्न: जो हिजाब है, पर्द: है साज़ का
रंग-ए-शिकस्त:, सुबह-ए बहार-ए-नज़ार: है
यह वक़्त है शिगुफ़्तन-ए गुलहा-ए-नाज़ का
तू और सू-ए-ग़ैर नज़रहा-ए-तेज़ तेज़
मैं और दुख तिरी मिश: हा-ए-दराज़ का
सर्फ़: है ज़ब्त-ए-आह में मेरा, वगर्न: मैं
तो`म: हूँ एक ही नफ़स-ए-जाँ-गुदाज़ का
हैं, बसकि जोश-ए-बाद: से शीशे उछल रहे
हर गोश:-ए बिसात, है सर शीश: बाज़ का
काविश का दिल करे है तक़ाज़ा, कि है हनोज़
नाख़ुन प क़र्ज़, इस गिरह-ए-नीमबाज़ का
ताराज-ए-काविश-ए-ग़म-ए-हिजराँ हुआ, असद
सीन:, कि था दफ़ीन: गुहरहा-ए-राज़ का
याँ वर्न: जो हिजाब है, पर्द: है साज़ का
रंग-ए-शिकस्त:, सुबह-ए बहार-ए-नज़ार: है
यह वक़्त है शिगुफ़्तन-ए गुलहा-ए-नाज़ का
तू और सू-ए-ग़ैर नज़रहा-ए-तेज़ तेज़
मैं और दुख तिरी मिश: हा-ए-दराज़ का
सर्फ़: है ज़ब्त-ए-आह में मेरा, वगर्न: मैं
तो`म: हूँ एक ही नफ़स-ए-जाँ-गुदाज़ का
हैं, बसकि जोश-ए-बाद: से शीशे उछल रहे
हर गोश:-ए बिसात, है सर शीश: बाज़ का
काविश का दिल करे है तक़ाज़ा, कि है हनोज़
नाख़ुन प क़र्ज़, इस गिरह-ए-नीमबाज़ का
ताराज-ए-काविश-ए-ग़म-ए-हिजराँ हुआ, असद
सीन:, कि था दफ़ीन: गुहरहा-ए-राज़ का
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