Friday, July 19, 2013

029-क़तर:-ए-मै बसकि हैरत से

क़तर:-ए-मै बसकि हैरत से नफ़स-परवर हुआ
ख़त्त-ए-जाम-ए-मै सरासर, रिश्त:-ए-गौहर हुआ

ए`तिबार-ए-`इश्क़ की ख़ान:-ख़राबी देखना
ग़ैर ने की आह, लेकिन वह ख़फ़ा मुझ पर हुआ

-मिर्ज़ा ग़ालिब

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