क़तर:-ए-मै बसकि हैरत से नफ़स-परवर हुआ
ख़त्त-ए-जाम-ए-मै सरासर, रिश्त:-ए-गौहर हुआ
ए`तिबार-ए-`इश्क़ की ख़ान:-ख़राबी देखना
ग़ैर ने की आह, लेकिन वह ख़फ़ा मुझ पर हुआ
-मिर्ज़ा ग़ालिब
ख़त्त-ए-जाम-ए-मै सरासर, रिश्त:-ए-गौहर हुआ
ए`तिबार-ए-`इश्क़ की ख़ान:-ख़राबी देखना
ग़ैर ने की आह, लेकिन वह ख़फ़ा मुझ पर हुआ
-मिर्ज़ा ग़ालिब
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