जब, ब तक़रीब-ए-सफ़र, यार ने महमिल बाँधा
तपिश-ए-शौक़ ने हर ज़र्रे प इक दिल बाँधा
अहल-ए-बीनिश ने ब हैरत-कद:-ए-शोख़ी-ए-नाज़
जौहर-ए-आइन: को तूती-ए-बिस्मिल बाँधा
यास-ओ-उम्मीद ने यक, `अरबद:-मैदाँ माँगा
`अज्ज़-ए-हिम्मत ने तिलिस्म-ए-दिल-ए-साइल बाँधा
न बंधे तश्नगी-ए-शौक़ के मज़मूँ, ग़ालिब
गरचे: दिल खोल के दरिया को भी साहिल बाँधा
इसतिलाहात-ए-असीरान-ए-तग़ाफ़ुल मत पूछ
जो गिरह आप न खोली उसे मुश्किल बाँधा
यार ने तश्नगी-ए-शौक़ के मज़मूँ चाहे
हम ने दिल खोल के दरिया को भी साहिल बाँधा
तपिश-ए-आइन: परदाज़-ए-तमन्ना लाई
नामह-ए-शौक़ ब बाल-ए-पर-ए-बिस्मिल बाँधा
दीद: ता दिल है यक आईन: चराग़ां किसने
ख़ल्वत-ए-नाज़ प पेरायह-ए-महफ़िल बाँधा
ना-उमीदी ने ब तक़रीब-ए-मज़ामीन-ए-ख़ुमार
कूच:-ए-मौज को ख़मयाज़ह-ए-साहिल बाँधा
मुतरिब-ए-दिल ने मिरे तार-ए-नफ़स से, ग़ालिब
साज़ पर रिश्त: पए-नग़म:-ए-बेदिल बाँधा
-मिर्ज़ा ग़ालिब
तपिश-ए-शौक़ ने हर ज़र्रे प इक दिल बाँधा
अहल-ए-बीनिश ने ब हैरत-कद:-ए-शोख़ी-ए-नाज़
जौहर-ए-आइन: को तूती-ए-बिस्मिल बाँधा
यास-ओ-उम्मीद ने यक, `अरबद:-मैदाँ माँगा
`अज्ज़-ए-हिम्मत ने तिलिस्म-ए-दिल-ए-साइल बाँधा
न बंधे तश्नगी-ए-शौक़ के मज़मूँ, ग़ालिब
गरचे: दिल खोल के दरिया को भी साहिल बाँधा
इसतिलाहात-ए-असीरान-ए-तग़ाफ़ुल मत पूछ
जो गिरह आप न खोली उसे मुश्किल बाँधा
यार ने तश्नगी-ए-शौक़ के मज़मूँ चाहे
हम ने दिल खोल के दरिया को भी साहिल बाँधा
तपिश-ए-आइन: परदाज़-ए-तमन्ना लाई
नामह-ए-शौक़ ब बाल-ए-पर-ए-बिस्मिल बाँधा
दीद: ता दिल है यक आईन: चराग़ां किसने
ख़ल्वत-ए-नाज़ प पेरायह-ए-महफ़िल बाँधा
ना-उमीदी ने ब तक़रीब-ए-मज़ामीन-ए-ख़ुमार
कूच:-ए-मौज को ख़मयाज़ह-ए-साहिल बाँधा
मुतरिब-ए-दिल ने मिरे तार-ए-नफ़स से, ग़ालिब
साज़ पर रिश्त: पए-नग़म:-ए-बेदिल बाँधा
-मिर्ज़ा ग़ालिब
No comments:
Post a Comment