Friday, July 19, 2013

045-सुरम:-ए-मुफ़्त-ए-नज़र हूँ

सुरम:-ए-मुफ़्त-ए-नज़र हूँ, मिरी क़ीमत यह है
कि रहे चश्म-ए-ख़रीदार प एहसाँ मेरा

रुख़सत-ए-नाल: मुझे दे, कि मबादा ज़ालिम
तेरे चेहरे से हो ज़ाहिर, ग़म-ए-पिन्हाँ मेरा

ख़ल्वत-ए-आबिलह-ए-पा में है जौलाँ मेरा
ख़ूँ है दिल-तंगि-ए-वहशत से बयाबाँ मेरा

हसरत-ए-नश्श:-ए-वहशत न ब स`ई-ए-दिल है
`अर्ज़-ए-ख़मयाज़ह-ए-मजनूँ है गरीबाँ मेरा

फ़हम ज़नजीरी-ए-बेरब्ती-ए-दिल है यारब
किस ज़बाँ में है लक़ब ख़्वाब-ए-परीशाँ मेरा

-मिर्ज़ा ग़ालिब

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