Thursday, July 18, 2013

053-मुंद गईं खोलते ही खोलते

मुंद गईं खोलते ही खोलते आँखें, ग़ालिब
यार लाए-मिरी बालीं प उसे, पर किस वक़्त
-मिर्ज़ा ग़ालिब

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