मीर-ओ-ग़ालिब
मीर और ग़ालिब की ग़ज़लों, अश'आर और रूबाइयों का संकलन
Bazm
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Spiritual Science
Thursday, July 18, 2013
053-मुंद गईं खोलते ही खोलते
मुंद गईं खोलते ही खोलते आँखें, ग़ालिब
यार लाए-मिरी बालीं प उसे, पर किस वक़्त
-मिर्ज़ा ग़ालिब
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