Thursday, July 18, 2013

055-गुलशन में बन्द-ओ-बस्त

गुलशन में बन्द-ओ-बस्त ब रंग-ए-दिगर, है आज
क़ुमरी का तौक़ हल्क़:-ए-बैरून-ए-दर, है आज

आता है एक पार:-ए-दिल हर फ़ुग़ां के साथ
तार-ए-नफ़स, कमन्द-ए-शिकार-ए-असर, है आज

अय `आफ़ियत, किनार: कर अय इन्तिज़ाम चल
सैलाब-ए-गिरिय: दर-प-ए-दीवार-ओ-दर, है आज

-मिर्ज़ा ग़ालिब

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