Thursday, July 18, 2013

057-नफ़स न अंजुमन-ए-आरज़ू

नफ़स न अंजुमन-ए-आरज़ू से बाहर खेंच
अगर शराब नहीं, इंतज़ार-ए-साग़र खेंच

कमाल-ए-गर्मी-ए-स`ई-ए-तलाश-ए-दीद न पूछ
ब रंग-ए-ख़ार मिरे आइने से जौहर खेंच

तुझे बहान:-ए-राहत है इंतज़ार, अय दिल
किया है किसने इशार: कि नाज़-ए-बिस्तर खेंच

तिरी तरफ़ है ब हसरत नज़ार:-ए-नर्गिस
ब कोरी-ए-दिल-ओ-चश्म-ए-रक़ीब, साग़र खेंच

ब नीम-ग़मज़: अदा कर, हक़-ए-वदी`अत-ए-नाज़
नियाम-ए-पर्द:-ए-ज़ख़्म-ए-जिगर से ख़ंजर खेंच

मिरे क़दह में है सहबा-ए-आतिश-ए-पिन्हाँ
ब रू-ए-सफ़र: कबाब-ए-दिल-ए-समंदर खेंच

-मिर्ज़ा ग़ालिब

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