Thursday, July 18, 2013

066-सितम-कश मस्लहत से हूँ

सितम-कश मस्लहत से हूँ, कि ख़ूबाँ तुझ प `आशिक़ हैं
तक़ल्लुफ़ बर-तरफ़, मिल जाएगा तुझसा रक़ीब आख़िर
-मिर्ज़ा ग़ालिब

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