क्योंकर उस बुत से रख़ूँ जान `अज़ीज़
क्या नहीं है मुझे ईमान `अज़ीज़
दिल से निकला, प न निकला दिल से
है तिरे तीर का पैकान `अज़ीज़
ताब लाए-ही बनेगी, ग़ालिब
वाक़ि`अ: सख़्त है और जान `अज़ीज़
-मिर्ज़ा ग़ालिब
क्या नहीं है मुझे ईमान `अज़ीज़
दिल से निकला, प न निकला दिल से
है तिरे तीर का पैकान `अज़ीज़
ताब लाए-ही बनेगी, ग़ालिब
वाक़ि`अ: सख़्त है और जान `अज़ीज़
-मिर्ज़ा ग़ालिब
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