न लेवे गर ख़स-ए-जौहर, तरावत सब्ज़:-ए-ख़त से
लगावे ख़ान:-ए-आईन: में रू-ए-निगार आतिश
फ़रोग़-ए-हुस्न से होती है हल्ल-ए-मुश्किल-ए-`आशिक़
न निकले शम`अ के पा से, निकाले गर न ख़ार आतिश
-मिर्ज़ा ग़ालिब
लगावे ख़ान:-ए-आईन: में रू-ए-निगार आतिश
फ़रोग़-ए-हुस्न से होती है हल्ल-ए-मुश्किल-ए-`आशिक़
न निकले शम`अ के पा से, निकाले गर न ख़ार आतिश
-मिर्ज़ा ग़ालिब
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