Thursday, July 18, 2013

075-जाद:-ए-रह ख़ुर को वक़्त-ए-शाम है

जाद:-ए-रह ख़ुर को वक़्त-ए-शाम है तार-ए-शु`आ`अ
चर्ख़ वा करता है माह-ए-नौ से आग़ोश-ए-विदा`अ
-मिर्ज़ा ग़ालिब

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