आह को चाहिये इक `उम्र, असर होते तक
कौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक
दाम-ए-हर मौज में है, हल्क़:-ए-सद काम-ए-निहँग
देखें क्या गुज़रे है क़तरे प, गुहर होते तक
`आशिक़ी सब्र-तलब और तमन्ना बेताब
दिल का क्या रंग करूँ, ख़ून-ए-जिगर होते तक
हम ने माना, कि तग़ाफ़ुल न करोगे, लेकिन
ख़ाक हो जाएँगे हम, तुम को ख़बर होते तक
परतव-ए-ख़ुर से है शबनम को, फ़ना की ता`लीम
मैं भी हूँ, एक `इनायत की नज़र होते तक
यक नज़र बेश नहीं, फ़ुर्सत-ए-हस्ती ग़ाफ़िल
गर्मी-ए-बज़्म है, इक रक़्स-ए-शरर होते तक
ग़म-ए-हस्ती का, असद किस से हो जुज़ मर्ग `इलाज
शम`अ हर रंग में जलती है सहर होते तक
-मिर्ज़ा ग़ालिब
कौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक
दाम-ए-हर मौज में है, हल्क़:-ए-सद काम-ए-निहँग
देखें क्या गुज़रे है क़तरे प, गुहर होते तक
`आशिक़ी सब्र-तलब और तमन्ना बेताब
दिल का क्या रंग करूँ, ख़ून-ए-जिगर होते तक
हम ने माना, कि तग़ाफ़ुल न करोगे, लेकिन
ख़ाक हो जाएँगे हम, तुम को ख़बर होते तक
परतव-ए-ख़ुर से है शबनम को, फ़ना की ता`लीम
मैं भी हूँ, एक `इनायत की नज़र होते तक
यक नज़र बेश नहीं, फ़ुर्सत-ए-हस्ती ग़ाफ़िल
गर्मी-ए-बज़्म है, इक रक़्स-ए-शरर होते तक
ग़म-ए-हस्ती का, असद किस से हो जुज़ मर्ग `इलाज
शम`अ हर रंग में जलती है सहर होते तक
-मिर्ज़ा ग़ालिब
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Jagjit Singh/ जगजीत सिंह
K.L. Sehgal/ कुंदन लाल सहगल
1 comment:
wonderful!!!!!!!!
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