Thursday, July 18, 2013

079-आह को चाहिये

आह को चाहिये इक `उम्र, असर होते तक
कौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक

दाम-ए-हर मौज में है, हल्क़:-ए-सद काम-ए-निहँग
देखें क्या गुज़रे है क़तरे प, गुहर होते तक

`आशिक़ी सब्र-तलब और तमन्ना बेताब
दिल का क्या रंग करूँ, ख़ून-ए-जिगर होते तक

हम ने माना, कि तग़ाफ़ुल न करोगे, लेकिन
ख़ाक हो जाएँगे हम, तुम को ख़बर होते तक

परतव-ए-ख़ुर से है शबनम को, फ़ना की ता`लीम
मैं भी हूँ, एक `इनायत की नज़र होते तक

यक नज़र बेश नहीं, फ़ुर्सत-ए-हस्ती ग़ाफ़िल
गर्मी-ए-बज़्म है, इक रक़्स-ए-शरर होते तक

ग़म-ए-हस्ती का, असद किस से हो जुज़ मर्ग `इलाज
शम`अ हर रंग में जलती है सहर होते तक

-मिर्ज़ा ग़ालिब

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Jagjit Singh/ जगजीत सिंह







Ghulam Ali/ ग़ुलाम अली

https://youtu.be/m09R8FgoZ4w




Suraiya/ सुरैया

https://youtu.be/0Im2JDRUTWQ




Shabana Kausar/ शबाना कौसर 

https://youtu.be/QvNBc9stvGw




Begum Akhtar/ बेग़म अख़्तर

https://youtu.be/ih6BTkJ1Ujc




K.L. Sehgal/ कुंदन लाल सहगल




Hussain Baksh/ हुसैन बक़्श

https://youtu.be/YaQh0OVKOuQ



Mehdi Hassan/ मेहदी हसन

https://youtu.be/RaUrbMsz48k







1 comment:

Smriti Roy said...

wonderful!!!!!!!!

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