गर तुझ को है यक़ीन-ए-इजाबत, दु`आ न माँग
या`नी बग़ैर-ए-यक दिल-ए-बे-मुद्द`आ, न माँग
आता है दाग़-ए-हसरत-ए-दिल का शुमार याद
मुझसे मिरे गुनह का हिसाब, अय ख़ुदा न माँग
अय आरज़ू शहीद-ए-वफ़ा ख़ूँ-बहा न माँग
जुज़ बहर-ए-दस्त-ओ-बाज़ू-ए-क़ातिल दु`आ न माँग
बरहम है बज़्म-ए-ग़ुन्च: ब यक जुंबिश-ए-निशात
काशानह बसकि तंग है ग़ाफ़िल हवा न माँग
मैं दूर गर्द-ए-`अर्ज़-ए-रुसूम-ए-नियाज़ हूँ
दुश्मन समझ वले निगह-ए-आश्ना न माँग
यक-बख़्त औज नज़र-ए-सुबुक-बारी-ए-असद
सर पर वबाल-ए-साय:-ए-बाल-ए-हुमा न माँग
-मिर्ज़ा ग़ालिब
या`नी बग़ैर-ए-यक दिल-ए-बे-मुद्द`आ, न माँग
आता है दाग़-ए-हसरत-ए-दिल का शुमार याद
मुझसे मिरे गुनह का हिसाब, अय ख़ुदा न माँग
अय आरज़ू शहीद-ए-वफ़ा ख़ूँ-बहा न माँग
जुज़ बहर-ए-दस्त-ओ-बाज़ू-ए-क़ातिल दु`आ न माँग
बरहम है बज़्म-ए-ग़ुन्च: ब यक जुंबिश-ए-निशात
काशानह बसकि तंग है ग़ाफ़िल हवा न माँग
मैं दूर गर्द-ए-`अर्ज़-ए-रुसूम-ए-नियाज़ हूँ
दुश्मन समझ वले निगह-ए-आश्ना न माँग
यक-बख़्त औज नज़र-ए-सुबुक-बारी-ए-असद
सर पर वबाल-ए-साय:-ए-बाल-ए-हुमा न माँग
-मिर्ज़ा ग़ालिब
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