Thursday, July 18, 2013

093-मान`-ए-दश्त नवर्दी

मान`-ए-दश्त नवर्दी कोई तदबीर नहीं
एक चक्कर है, मिरे पाँव में ज़ंजीर नहीं

शौक़ उस दश्त में दौड़ाए है मुझ को, कि जहाँ
जाद: ग़ैर अज़ निगह-ए-दीद:-ए-तस्वीर नहीं

हसरत-ए-लज़्ज़त-ए-आज़ार रही जाती है
जाद:-ए-राह-ए-वफ़ा, जुज़ दम-ए-शमशीर नहीं

रंज-ए-नौमीदी-ए-जावेद, गवारा रहयो
ख़ुश हूँ गर नाल: ज़बूनी-कश-ए-तासीर नहीं

सर खुजाता है, जहाँ ज़ख़्म-ए-सर अच्छा हो जाए
लज़्ज़त-ए-संग ब अँदाज़:-ए-तक़रीर नहीं

जब करम रुख़सत-ए-बेबाकी-ओ-गुस्ताख़ी दे
कोई तक़सीर ब जुज़ ख़जलत-ए-तक़सीर नहीं

ग़ालिब अपना यह `अक़ीद: है बक़ौल-ए-नासिख़
आप बेबहर: है जो मो`तक़िद-ए-मीर नहीं

मीर के शे`र का अहवाल कहूँ क्या ग़ालिब
जिस का दीवान कम अज़ गुलशन-ए-कश्मीर नहीं

-मिर्ज़ा ग़ालिब

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