Thursday, July 18, 2013

106-दिल लगा कर लग गया

दिल लगा कर लग गया उन को भी तन्हा बैठना
बारे, अपनी बेकसी की हम ने पाई दाद, याँ

हैं ज़वाल-आमाद: अज्ज़ा आफ़िरीनिश के तमाम
मेहर-ए-गर्दूं है चराग़-ए-रहगुज़ार-ए-बाद, याँ

-मिर्ज़ा ग़ालिब

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