Thursday, July 18, 2013

143-तुम अपने शिकवे की बातें

तुम अपने शिकवे की बातें, न खोद खोद के पूछो
हज़र करो मिरे दिल से, कि उस में आग दबी है

दिला, यह दर्द-ओ-अलम भी तो मुग़तनम है, कि आख़िर
न गिरिय:-ए-सहरी है, न आह-ए-नीमशबी है

-मिर्ज़ा ग़ालिब

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