Thursday, July 18, 2013

183-तग़ाफ़ुल-दोस्त हूँ

तग़ाफ़ुल-दोस्त हूँ, मेरा दिमाग़-ए-`अज्ज़ `आली है
अगर पहलूतिही कीजे, तो जा मेरी भी ख़ाली है

रहा आबाद `आलम अहल-ए-हिम्मत के न होने से
भरे हैं जिस क़दर जाम-ओ-सुबू, मैख़ान: ख़ाली है

-मिर्ज़ा ग़ालिब

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