Thursday, July 18, 2013

229-जिस जा नसीम

जिस जा नसीम शान:-कश-ए-ज़ुल्फ़-ए-यार है
नाफ़: दिमाग़-ए-आहू-ए-दश्त-ए-ततार है

किस का सुराग़-ए-जल्व: है हैरत को अय ख़ुदा
आईन: फ़र्श-ए-शश-जिहत-ए-इंतज़ार है

है ज़र्र: ज़र्र: तंगि-ए-जा से ग़ुबार-ए-शौक़
गर दाम यह है, वुस`अत-ए-सहरा शिकार है

दिल मुद्द`ई-ओ-दीद: बना मुद्द`आ `अलैह
नज़्ज़ारे का मुक़द्दम: फिर रूबकार है

छिड़के है शबनम आइन:-ए-बर्ग-ए-गुल पर आब
अय `अन्दलीब, वक़्त-ए-विदा`-ए-बहार है

पच आ पड़ी है वा`द:-ए-दिलदार की मुझे
वह आए-या न आए प याँ इंतज़ार है

बेपर्द: सू-ए-वादी-ए-मजनूँ गुज़र न कर
हर ज़र्रे के नक़ाब में दिल बेक़रार है

अय `अन्दलीब यक कफ़-ए-ख़स बहर-ए-आशियाँ
तूफ़ान-ए-आमद आमद-ए-फ़स्ल-ए-बहार है

दिल मत गंवा, ख़बर न सही, सैर ही सही
अय बे-दिमाग़, आइन: तिम्साल दार है

ग़फ़लत कफ़ील-ए-`उम्र-ओ-असद ज़ामिन-ए-निशात
अय मर्ग-ए-नागहाँ तुझे क्या इंतज़ार है

-मिर्ज़ा ग़ालिब

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