चाहिये अच्छों को जितना चाहिये
यह अगर चाहें, तो फिर क्या चाहिये
सोहबत-ए-रिन्दाँ से वाजिब है हज़र
जा-ए-मै अपने को खेंचा चाहिये
चाहने को तेरे क्या समझा था दिल
बारे, अब उस से भी समझा चाहिये
चाक मत कर जैब बे-अय्याम-ए-गुल
कुछ उधर का भी इशारा चाहिये
दोस्ती का पर्द:, है बेगानगी
मुंह छुपाना हम से छोड़ा चाहिये
दुश्मनी ने मेरी खोया ग़ैर को
किस क़दर दुश्मन है, देखा चाहिये
अपनी रुस्वाई में क्या चलती है स`य
यार ही हँगाम:-आरा चाहिये
मुनहसिर मरने प हो, जिस की उमीद
नाउमीदी उस की देखा चाहिये
ग़ाफ़िल, उन मह तल`अतों के वास्ते
चाहने-वाला भी अच्छा चाहिये
चाहते हैं ख़ूबरूओं को असद
आप की सूरत तो देखा चाहिये
-मिर्ज़ा ग़ालिब
यह अगर चाहें, तो फिर क्या चाहिये
सोहबत-ए-रिन्दाँ से वाजिब है हज़र
जा-ए-मै अपने को खेंचा चाहिये
चाहने को तेरे क्या समझा था दिल
बारे, अब उस से भी समझा चाहिये
चाक मत कर जैब बे-अय्याम-ए-गुल
कुछ उधर का भी इशारा चाहिये
दोस्ती का पर्द:, है बेगानगी
मुंह छुपाना हम से छोड़ा चाहिये
दुश्मनी ने मेरी खोया ग़ैर को
किस क़दर दुश्मन है, देखा चाहिये
अपनी रुस्वाई में क्या चलती है स`य
यार ही हँगाम:-आरा चाहिये
मुनहसिर मरने प हो, जिस की उमीद
नाउमीदी उस की देखा चाहिये
ग़ाफ़िल, उन मह तल`अतों के वास्ते
चाहने-वाला भी अच्छा चाहिये
चाहते हैं ख़ूबरूओं को असद
आप की सूरत तो देखा चाहिये
-मिर्ज़ा ग़ालिब
No comments:
Post a Comment