Thursday, July 18, 2013

195-तपिश से मेरी

तपिश से मेरी, वक्फ़-ए-कशमकश, हर तार-ए-बिस्तर है
मिरा सर रंज-ए-बालीं है, मिरा तन बार-ए-बिस्तर है

सरश्क-ए-सर ब सहरा दाद: नूर उल-`ऐन-ए-दामन है
दिल-ए-बे-दस्त-ओ-पा उफ़्ताद: बर्ख़ुर्दार-ए-बिस्तर है

ख़ुशा इक़बाल-ए-रंजूरी `इयादत को तुम आए हो
फ़रोग़-ए-शम`-ए-बालीं, ताल`-ए-बेदार-ए-बिस्तर है

ब तूफ़ाँ गाह-ए-जोश-ए-इज़्तिराब-ए-शाम-ए-तन्हाई
शु`आ`-ए-आफ़ताब-ए-सुबह-ए-महशर तार-ए-बिस्तर है

अभी आती है बू, बालिश से उस की ज़ुल्फ़-ए-मुश्कीं की
हमारी दीद को, ख़्वाब-ए-ज़ुलैख़ा, `आर-ए-बिस्तर है

कहूँ क्या, दिल की क्या हालत है, हिज्र-ए-यार में, ग़ालिब
कि बेताबी से, हर यक तार-ए-बिस्तर ख़ार-ए-बिस्तर है

-मिर्ज़ा ग़ालिब

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