न पूछ नुस्ख़:-ए-मरहम, जराहत-ए-दिल का
कि उस में रेज़:-ए-अलमास जुज़्व-ए- आ`ज़म है
बहुत दिनों में तग़ाफ़ुल ने तेरे पैदा की
वह इक निगह, कि बज़ाहिर निगाह से कम है
-मिर्ज़ा ग़ालिब
कि उस में रेज़:-ए-अलमास जुज़्व-ए- आ`ज़म है
बहुत दिनों में तग़ाफ़ुल ने तेरे पैदा की
वह इक निगह, कि बज़ाहिर निगाह से कम है
-मिर्ज़ा ग़ालिब
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