Thursday, July 18, 2013

199-हम रश्क को अपने भी

हम रश्क को अपने भी, गवारा नहीं करते
मरते हैं, वले उन की तमन्ना नहीं करते

दर पर्द: उन्हें ग़ैर से, है रब्त-ए-निहानी
ज़ाहिर का यह पर्द: है, कि पर्द: नहीं करते

यह बा`इस-ए-नौमीदी-ए-अरबाब-ए-हवस है
ग़ालिब को बुरा कहते हो, अच्छा नहीं करते

-मिर्ज़ा ग़ालिब

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