`अर्ज़-ए-नाज़-ए-शोख़ी-ए-दन्दां, बराए ख़न्द: है
दा`व:-ए-जम`इयत-ए-अहबाब, जा-ए-ख़न्द: है
है `अदम में, ग़ुन्च: महव-ए-`इबरत-ए-अंजाम-ए-गुल
यक जहाँ ज़ानू तअम्मुल, दर-क़फ़ा-ए-ख़न्द: है
कुल्फ़त-ए-अफ़सुर्दगी को `ऐश-ए-बेताबी हराम
वर्न: दन्दां दर दिल अफ़शुर्दन बिना-ए-ख़न्द: है
शोरिश-ए-बातिन के हैं अहबाब मुनकिर, वर्न: याँ
दिल मुहीत-ए-गिरिय:-ओ-लब आश्ना-ए-ख़न्द: है
ख़ुद-फ़रोशीहा-ए-हस्ती बसकि जा-ए-ख़न्द: है
हर शिकस्त-ए-क़ीमत-ए-दिल में सदा-ए-ख़न्द: है
नक़्श-ए-`इबरत दर नज़र या नक़द-ए-`इश्रत दर बिसात
दो-जहाँ वुस`अत ब क़द्र-ए-यक फ़ज़ा-ए-ख़न्द: है
जा-ए-इसतिहज़ा है `इश्रत-कोशी-ए-हस्ती असद
सुबह-ओ-शबनम फ़ुर्सत-ए-नश्व-ओ-नुमा-ए-ख़न्द: है
-मिर्ज़ा ग़ालिब
दा`व:-ए-जम`इयत-ए-अहबाब, जा-ए-ख़न्द: है
है `अदम में, ग़ुन्च: महव-ए-`इबरत-ए-अंजाम-ए-गुल
यक जहाँ ज़ानू तअम्मुल, दर-क़फ़ा-ए-ख़न्द: है
कुल्फ़त-ए-अफ़सुर्दगी को `ऐश-ए-बेताबी हराम
वर्न: दन्दां दर दिल अफ़शुर्दन बिना-ए-ख़न्द: है
शोरिश-ए-बातिन के हैं अहबाब मुनकिर, वर्न: याँ
दिल मुहीत-ए-गिरिय:-ओ-लब आश्ना-ए-ख़न्द: है
ख़ुद-फ़रोशीहा-ए-हस्ती बसकि जा-ए-ख़न्द: है
हर शिकस्त-ए-क़ीमत-ए-दिल में सदा-ए-ख़न्द: है
नक़्श-ए-`इबरत दर नज़र या नक़द-ए-`इश्रत दर बिसात
दो-जहाँ वुस`अत ब क़द्र-ए-यक फ़ज़ा-ए-ख़न्द: है
जा-ए-इसतिहज़ा है `इश्रत-कोशी-ए-हस्ती असद
सुबह-ओ-शबनम फ़ुर्सत-ए-नश्व-ओ-नुमा-ए-ख़न्द: है
-मिर्ज़ा ग़ालिब
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