Thursday, July 18, 2013

214-हुस्न-ए-बेपरवा

हुस्न-ए-बेपरवा ख़रीदार-ए-मता`-ए-जल्व: है
आइन: ज़ानू-ए-फ़िक़्र-ए-इख़्तिरा`-ए-जल्व: है

ता कुजा, अय आगही, रंग-ए-तमाशा बाख़्तन
चश्म-ए-वा-गर्दीद: आग़ोश-ए-विदा`-ए-जल्व: है
 
-मिर्ज़ा ग़ालिब

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