Thursday, July 18, 2013

222-मस्ती ब ज़ौक़-ए-ग़फ़लत

मस्ती ब ज़ौक़-ए-ग़फ़लत-ए-साक़ी हलाक है
मौज-ए-शराब यक मिश.:-ए-ख़्वाबनाक है

जुज़ ज़ख़्म-ए-तेग़-ए-नाज़, नहीं दिल में आरज़ू
जैब-ए-ख़याल भी तिरे हाथों से चाक है

जोश-ए-जुनूँ से कुछ नज़र आता नहीं, असद
सहरा हमारी आँख में यक मुश्त-ए-ख़ाक है

-मिर्ज़ा ग़ालिब

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